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दिल्ली में हुई बारिश के दौरान 10 मिनट तक लाईव वायर के संपर्क में रहने और बिजली का ज़बरदस्त झटका लगने के बाद 16 साल के लड़के को इन्द्रप्रस्थ अपोलो होस्पिटल्स में मिला नया जीवन
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मरीज़ को जब अस्पताल लाया गया तब उसे हार्टबीट और पल्सरेट नहीं थी, जिसके चलते उसके जीवित रहने की संभावना बहुत कम हो गई थी; 36 घण्टे बाद होश में आया
नई दिल्लीः इसे आप चमत्कार नहीं तो ओर क्या कहेंगे कि 16 साल का एक लड़का बिजली का जानलेवा झटका लगने के बाद भी जीवित बच गया। यह घटना तब घटी जब पुरानी दिल्ली में स्थित अपनी दुकान में वह भारी बारिश के कारण हुए नुकसान का मुआयना कर रहा था, तभी एक हाई वोल्टेज लाईव वायर उसके उपर गिर गई।
लड़के को बिजली का ज़बरदस्त झटका लगा, जब आस-पास के लोगों की नज़र उस पर पड़ी तो वह बेजान सा पड़ा था, उसका शरीर रेलिंग से चिपका था और शरीर में से करेंट बह रहा था। 10 मिनट बाद उसे बचाया जा सका, जब लोगों ने उस क्षेत्र के पावरहाउस से बिजली की सप्लाई काटी।
उसे तुरंत इन्द्रप्रस्थ अपोलो होस्पिटल्स के एमजेन्सी विभाग में लाया गया। भर्ती के बाद जांच करने पर पता चला कि बिजली के झटके की वजह से मरीज़ में हार्ट बीट, पल्सरेट नहीं थी और ब्लड प्रेशर बहुत कम हो गया था। उसके बचने की संभावना बहुत कम थी।
डॉ प्रियदर्शिनी पाल, एमरजेन्सी हैड, एमरजेन्सी एण्ड क्रिटिकल केयर, इन्द्रप्रस्थ अपोलो होस्पिटल्स और उनकी टीम ने मरीज़की क्रिटिकल स्थिति को देखते हुए तुरंत इलाज शुरू किया और समय पर इलाज मिलने के कारण 36 घण्टे बाद मरीज को होश आया, पांच दिन बार उसे अस्पताल से छुट्टी दे दी गई।
डॉ प्रियदर्शिनी पाल ने कहा, ‘‘ मरीज़ को जब एमरजेन्सी युनिट में लाया गया, तब वह बेहोश था, उसकी हार्टबीट बहुत कम थी। जांच करने पर पता चला कि लम्बे समय तक बिजली का झटका लगते रहने के कारण उसे कार्डियक अरेस्ट हो गया और उसकी पल्स भी महसूस नहीं हो रही थी। उसे तुरंत सीपीआर दिया गया। यह प्रक्रिया बेहद जटिल थी क्योंकि कार्डियक अरेस्ट के बाद सीपीआर में ज़रा सी भी देरी से दिमाग को स्थायी नुकसान पहुंच सकता था, लेकिन सीपीआर के बाद तकरीबन 45 मिनट में मरीज़ के पैरमीटर्स ठीक हुए।’
‘अच्छी बात यह रही कि मरीज़ के अन्य अंगों को नुकसान नहीं पहुंचा और 36 घण्टे बाद मरीज़ होश में आ गया। इसके बाद पांच दिनों तक उसे निगरानी में रखा गया और स्वस्थ अवस्था में अस्पताल से छुट्टी दे दी गई।’ उन्होंने अपनी बात को जारी रखते हुए कहा।
अपोलो टीम के प्रति आभार व्यक्त करते हुए मरीज़ के भाई ने कहा, ‘‘हम तो उम्मीद ही खो चुके थे, जब डॉक्टरों ने बताया कि मेरे भाई के जीवित रहने की संभावना कम है, लेकिन डॉ पाल और उनकी टीम ने मेरे भाई को नया जीवन दिया है।’